Monday, March 10, 2025
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HomeUncategorisedटाइगर अटैक से दहशत में ग्रामीण, प्रशासन की लापरवाही पर फूटा गुस्सा!

टाइगर अटैक से दहशत में ग्रामीण, प्रशासन की लापरवाही पर फूटा गुस्सा!

संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों ने किया हंगामा, कोतवाली पर जोरदार प्रदर्शन

रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान

रामनगर: जंगल के राजा से डरे सहमे ग्रामीणों का गुस्सा अब सड़क पर फूट पड़ा है! संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों ने रामनगर कोतवाली का घेराव कर कार्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि टाइगर, लेपर्ड और अन्य हिंसक जानवर आए दिन गांवों में घुसकर दहशत फैला रहे हैं, लेकिन पार्क प्रशासन कानों में तेल डाले बैठा है। इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार निदेशक साकेत बडोला, उपनिदेशक राहुल मिश्रा और रेंज अधिकारी भानुप्रकाश हर्बोला पर भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग उठी। ग्रामीणों ने कोतवाल को ज्ञापन सौंपकर मांग की कि प्रेम वल्लभ जोशी की तहरीर पर तुरंत केस दर्ज किया जाए और रेंज अधिकारी भानुप्रकाश हर्बोला द्वारा 5 नामजद और 50 अन्य ग्रामीणों पर दर्ज फर्जी मुकदमा तत्काल रद्द किया जाए। कोतवाल ने निष्पक्ष जांच और कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन ग्रामीणों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा।

सुबह 11 बजे कार्बेट पार्क के सीमावर्ती गांवों से बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने टाइगर व बंदरों के आतंक के खिलाफ पार्क कार्यालय पर धरना दिया। जब निदेशक साकेत बडोला एक बार फिर ऑफिस से गायब मिले, तो नाराज ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से उनका एक दिन का वेतन काटने की मांग कर दी।

सभा का संचालन कर रहे महेश जोशी और अन्य वक्ताओं ने पार्क प्रशासन पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा कि जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होता, तब तक अधिकारी कुर्सियों पर बैठे रहते हैं। टाइगर, लेपर्ड और अन्य हिंसक जानवर गांवों में खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही। वक्ताओं ने यहां तक मांग कर दी कि उत्तराखंड में बढ़ती हिंसक जानवरों की संख्या को सीमित करने के लिए ‘बैलेंस हंटिंग’ कराई जाए या इन्हें अन्य देशों को भेजा जाए। धरने पर पहुंचे पार्क वार्डन ने जब टाइगर के हमलों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “टाइगर को उसकी मां ने शिकार करना सिखाया है,” तो ग्रामीण भड़क उठे। उन्होंने इस बयान को उकसाने वाला बताते हुए सवाल उठाया, “अगर यही हमला किसी अधिकारी या उसके परिवार पर होता, तो क्या तब भी वे इतनी असंवेदनशील बात करते?” धरने को तारा बेलबाल, भूवन आर्य, बालम थापा, समिति के संयोजक ललित उप्रेती, उपपा नेता प्रभात ध्यानी, नवीन अधिकारी, पीसी जोशी, कैसर राना, महिला एकता मंच की ललिता रावत, समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार, एडवोकेट पूरन पांडे और आइसा के सुमित ने संबोधित किया। ग्रामीणों ने ऐलान किया कि अगर जल्द ही कोई ठोस समाधान नहीं निकला, तो 17 मार्च को ग्राम सांवल्दे पूर्वी में रणनीति तय कर बड़े आंदोलन का आगाज किया जाएगा। अब देखने वाली बात ये होगी कि प्रशासन जागता है या फिर ग्रामीणों को अपनी सुरक्षा खुद करनी पड़ेगी!

Rafi Khan
Rafi Khan
Editor-in-chief
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