Sunday, October 6, 2024
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उत्तराखंड में धर्म व जाती के नाम पर क्यों बड रहा है जुर्म?

उत्तराखंड में 3 वर्षों में अनुसूचित जाति जनजाति उत्पीड़न के 360 मुकदमें दरज
कुमाऊं की अपेक्षा गढ़वाल में 33 प्रतिशत अधिक हुये अनुसूचित जाति, जनजातियों के विरूद्ध किये गये अपराधों के मुकदमें दरज
पुलिस मुख्यालय द्वारा नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ खुलासा

उत्तराखंड जैसे शांत प्रदेश में धर्म व जाति के आधार पर अपराधों सहित विभिन्न अपराधों का बढ़ना गंभीर चिंता का विषय है। पिछले 3 वर्षों में अनुसूचित जाति व जनजातियों के विरूद्ध किये गये अपराधों के 360 अपराधिक मुकदमें दर्ज हुये हैं। इसमें 72 बलात्कार, 10 हत्या, 24 अपहरण के मुकदमें भी शामिल हैं। कुमाऊं में दर्ज 154 मुकदमों की अपेक्षा 33 प्रतिशत से अधिक 206 मुकदमें गढ़वाल के जिलों में दर्ज हुये हैं।

यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को पुलिस मुख्यालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ। आखिर प्रदेश सरकार इन पर अंकुश लगा पाने में क्यों असफल साबित हो रही है।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय से पिछले वर्षों में अनुसूचित जाति तथा जनजाति के विरूद्ध किये गये अपराधों के मुकदमों के विवरण की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में पुलिस मुख्यालय की लोक सूचना अधिकारी/अपर पुलिस अधीक्षक (कार्मिक) शाहजहां जावेद खान ने अपराधों से से सम्बन्धित विवरणों की फोटो प्रतियां अपने पत्रांक 647/2022 के साथ उपलब्ध करायी है।

श्री नदीम को उपलब्ध विवरणों के अनुसार अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीड़न के कुल 360 अभियोग पिछले 3 वर्षों (2020, 2021 तथा 2022) में दर्ज कराये गये है। इसमें 2020 में 111, 2021 में 130 तथा 2022 में 119 मुकदमें दर्ज हुये हैं। कुमाऊं के 6 जिलों में 154 तथा गढ़वाल के 7 जिलों में 206 मुकदमें दर्ज हुये हैं। उत्तराखंड के सभी जिलों में ऐसे मुकदमें दर्ज हुये हैं।
अपराध वार दर्ज हुये मुकदमों में हत्या के 10, डकैती व लूट का 1-1, अपहरण के 2, बलात्कार के 72, गंभीर चोट के 6, धारा 506 आई.पी.सी. (धमकी) के 21, अन्य अपराधों के 176, एस.सी.एस.टी. एक्ट के 71 मुकदमें शामिल है।

वर्ष 2022 में दर्ज 119 मुकदमों में हत्या के 3, डकैती व लूट, अपहरण का 1-1, बलात्कार के 24, गंभीर चोट के 3, धमकी के 3, अन्य 55 तथा एस.सी.एस.टी.एक्ट के 28 मुकदमें शामिल है।
वर्ष 2021 में दर्ज 130 मुकदमों में हत्या के 3, अपहरण का 1, बलात्कार के 27, गंभीर चोट के 2, धमकी के 16, अन्य अपराधों के 59, एस.सी.एस.टी एक्ट के 22 मुकदमें शामिल है।

वर्ष 2020 में दर्ज 111 मुकदमों में 4 हत्या, 21 बलात्कार, 1 गंभीर चोट, 2 धमकी, 62 अन्य अपराध, 21 एस.सी.एस.टी. एक्ट के मुुकदमें शामिल है।
जिलेवार अनुसूचित जाति जनजाति के विरूद्ध अपराधों में सर्वाधिक 96 मुकदमें हरिद्वार जिले में, दूसरे स्थान पर 66 उधमसिंह नगर में, तीसरे स्थान पर 48 देहरादून, चैथे स्थान पर 45 नैनीताल जिले में दर्ज हुये है। अन्य जिलों में दर्ज मुकदमों में अल्मोड़ा में 12, बागेश्वर में 7, पिथौरागढ़ में 17, चम्पावत में 7, उत्तरकाशी में 14, टिहरी गढ़वाल में 23, चमोली में 3, रूद्रप्रयाग में 2, पौड़ी गढ़वाल में 19 मुकदमें शामिल हैं।

वर्ष 2022 में दर्ज जिले वार अपराधों में 55 कुमाऊं के जिलों में तथा 64 गढ़वाल जिले में दर्ज हुये हंैं। इसमें अल्मोड़ा जिले में 9, बागेश्वर व चम्पावत में 2-2, पिथौरागढ़ में 6, नैनीताल में 16 तथा उधमसिंह नगर जिले में 20 मुकदमें शामिल है। जबकि गढ़वाल के उत्तरकाशी में 5, टिहरी गढ़वाल में 8, चमोली में 1, रूद्रप्रयाग में 2, पौड़ी गढ़वाल में 3, देहरादून में 23 तथा हरिद्वार में जिले में 22 अपराधिक मुकदमें शामिल है।
वर्ष 2021 में दर्ज जिलेवार मुकदमों में 59 कुमाऊं तथा 71 गढ़वाल के जिलों में दर्ज हुये हैं। कुमाऊं के जिलों में अल्मोड़ा में 1, बागेश्वर में 2, पिथौरागढ़ में 8, चम्पावत में 3, नैनीताल में 15, उधमसिंह नगर में 30 अपराधिक मुकदमें दर्ज हुये जबकि गढ़वाल के उत्तरकाशी में 4, टिहरी गढ़वाल में 7, चमोली में 2, पौड़ी गढ़वाल में 9, देहरादून में 10 तथा हरिद्वार में 38 अपराध दर्ज हुये हैैं। इस वर्ष रूद्रप्रयाग जनपद में ऐसा कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है।

वर्ष 2020 में दर्ज जिलेवार मुकदमों में कुमाऊं के जिलों में 40 तथा गढ़वाल के जिलों में 71 मुकदमें दर्ज हुये हैं। कुमाऊं के जिलों में अल्मोड़ा तथा चम्पावत में 2-2, बागेश्वर तथा पिथौरागढ़ में 3-3 तथा नैनीताल में 14, उधमसिंह नगर जिले में 40 मुकदमें दर्ज हुये है। जबकि गढ़वाल के उत्तरकाशी में 5, टिहरी गढ़वाल में 8, पौड़ी गढ़वाल में 7, देहरादून में 15 तथा हरिद्वार में 36 मुकदमें दर्ज हुये हैं। इस वर्ष चमोली व रूद्रप्रयाग जिले में कोई अ.जाति, जनजाति उत्पीड़न/अपराध का मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है।

Rafi Khan
Rafi Khan
Editor-in-chief
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