रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
रामनगर। “सूत्रों के मुताबिक, पिछले 15 सालों से रामनगर में नगर पालिका की कमान इशारों और निजी स्वार्थों के बीच फंसी हुई है। क्या प्रशासनिक पारदर्शिता का अभाव जनता के विकास पर भारी पड़ रहा है?” रामनगर की नगर पालिका में पिछले 15 वर्षों से दो चेयरमैनों के बीच का तालमेल चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार, एक चेयरमैन इशारा करते हैं, और दूसरा उस इशारे को अमल में लाता है। इस प्रक्रिया ने नगर पालिका के कामकाज और जनता की सेवा पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि रामनगर नगर पालिका में प्रशासनिक ढांचे को पिछले 15 सालों से निजी नियंत्रण में चलाया जा रहा है। प्रशासनिक आदेश देने और नगर के बड़े फैसले लेने में प्रमुख भूमिका। ठेकों और फंड के उपयोग में हस्तक्षेप। दूसरा चेयरमैन इशारों पर काम करने और आदेशों को अमल में लाने की भूमिका। यह प्रशासनिक मॉडल नगर के विकास के लिए कितना उपयोगी रहा, यह सवाल अब जनता के बीच गूंज रहा है। सूत्रों के मुताबिक, पिछले कार्यकाल में नगर पालिका के विकास कार्यों में बड़ी अनियमितताएं देखने को मिलीं। निर्माण कार्यों के लिए जारी किए गए टेंडरों में अपने चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के आरोप। वित्तीय स्वीकृतियों में गड़बड़ी: परियोजनाओं के बजट और खर्चों का लेखा-जोखा जनता की नजरों से छिपा रहा। एक स्थानीय व्यापारी ने कहा, “रामनगर के विकास के लिए मिले फंड्स का सही उपयोग हुआ या नहीं, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। हमें बस बड़े-बड़े दावे सुनने को मिलते हैं।” रामनगर की जनता इस मॉडल से परेशान है। एक स्थानीय निवासी ने कहा,”नगर पालिका में जनता की आवाज सुनने के बजाय केवल निजी स्वार्थों की पूर्ति हो रही है। हमें ऐसे नेतृत्व की जरूरत है, जो सही मायने में हमारे लिए काम करे।”पिछले 15 सालों की कार्यप्रणाली पर नजर डालें, तो यह स्पष्ट होता है कि चेयरमैन की कुर्सी सिर्फ इशारों पर चल रही है। जनता का विकास प्राथमिकता में नहीं है। नगर पालिका के कामकाज में पारदर्शिता की कमी ने जनता के विश्वास को कमजोर किया है। क्या विकास कार्यों के नाम पर जनता के पैसे का सही उपयोग हुआ, या वह निजी स्वार्थों की भेंट चढ़ गया? एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, “अगर नगर पालिका का प्रशासन इशारों पर चलता रहा, तो यह केवल भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को बढ़ावा देगा। अब समय है कि जनता अपने नेतृत्व से सवाल पूछे।”रामनगर नगर पालिका में नेतृत्व का यह मॉडल लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। जनता को यह तय करना होगा कि वह ऐसे नेतृत्व को चुनती है, जो पारदर्शिता और विकास की जगह निजी स्वार्थों को प्राथमिकता दे।