Thursday, October 10, 2024
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ए पल जरा ठहर जा जरा मेरा सहारा पहुंच जाए,सहारा श्री पंचतंत में हुए विलीन

ए पल जरा ठहर जा जरा मेरा सहारा आने दे… मैं सहारा श्री हूं मेने लाखो करोड़ों को सहारा दिया लेकिन कहां हैं मेरे सहारे जरा उनको तो आ लेने दे फिर मुझे सुपुर्द ए आतिश कर देना।

रफी खान / एडीटर K आवाज

सहारा श्री की अंतिम क्रिया में उनके दोनों पुत्र और पत्नी भी शामिल नहीं हुए,यह सिर्फ खबर भर नहीं है यह आईना है उस जिंदगी का जिसमें हमें और आपको अपनी छवि गौर से देखने की आज बेहद जरूरत है।

जी हां सुब्रत रॉय अर्थात् सहारा श्री आज पंचतत्व में विलीन हो गए जहां उनके पोते ने उन्हें मुखाग्नि दी । उनके अंतिम क्रिया के वक्त उनके हजारों शुभचिंतक नजर आये । उनके मित्र, स्टॉफ, राजनेता से लेकर फिल्मी दुनिया की तमाम हस्तियां तक उनके आखिरी इस सफर में साथ खड़े नजर आए लेकिन अगर कोई उनकी अंतिम यात्रा के वक्त नहीं दिखे तो वे थीं उनकी पत्नी और उनके दोनों बेटे,यही नहीं उनकी मौत के वक्त भी उनके परिवार का कोई सदस्य उनके पास नहीं था, पत्नी और बेटे तक नहीं।

यह वही सहारा श्री थे जिनके कारोबार की धाक कभी पूरी दुनिया भर में फैली थी चिट फण्ड, सेविंगस फाइनेंस, मीडिया , मनोरंजन, एयरलाइन, न्यूज़, होटल, खेल,‌ भारतीय क्रिकेट टीम का 11 साल तक स्पान्सर, वगैरह वगैरह…
ये वही सहारा श्री थे जिनकी महफिलों में कभी राजनेता से लेकर अभिनेता और बड़ी बड़ी हस्तियां दुम हिलाते नजर आते थे…
ये वही सहारा श्री थे जिन्होंने अपने बेटे सुशान्तो-सीमांतो की शादी में 500 करोड़ से भी अधिक खर्च किए थे ।

ऐसा भी नहीं था कि सहारा श्री ने अचानक दम तोड़ा उन्हें कैंसर था और उनके परिवार के हर एक सदस्य को उनकी मौत का महीना पता होगा लेकिन तब भी अंतिम वक्त में उनके साथ, उनके पास परिवार का कोई सदस्य नहीं था…! बेटों ने उनके शव को कांधा तक नहीं दिया…!
बस यही सच्चाई है जीवन की जिनके लिए आप जीवन भर झूठ-सच करके कंकड़-पत्थर जमा करते हैं… जिनके लिए आप जीवन भर हाय-हाय करते रहते हैं… जिनकी खुशी के लिए आप दूसरों की खुशी छीनते रहते हैं… जिनका घर बसाने के लिए आप हजारों घर उजाड़ते हैं… जिनकी बगिया सजाने और चहकाने के लिए आप प्रकृति तक की ऐसी तैसी करने में बाज नहीं आते…
वे पुत्र और वह परिवार आपके लिए, अंतिम दिनों में साथ तक नहीं रह पाते !
कभी ठहरकर सोचिएगा कि आप कुकर्म तक करके जो पूंजी जमा करते हैं, उन्हें भोगने वाले आपके किस हद तक ‘अपने’ हैं…?
अंगुलीमाल से बुद्ध ने यही तो कहा था कि “मैं तो कब का ही रूक गया, तुम कब रूकोगे…”

Rafi Khan
Rafi Khan
Editor-in-chief
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