रामनगर। के पाटकोट गाँव में पिछले 10 दिनों से पेयजल संकट ने ग्रामीणों की जिंदगी बेहाल कर दी है। सरकार की ‘हर घर नल, हर घर जल’ जैसी चमचमाती योजनाएं कागजों पर तो सुनहरी दिखती हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।
रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
गांव के समाजसेवी नरेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि करोड़ों की लागत से योजनाएं बनीं, हर घर में एक नहीं दो-दो कनेक्शन तक लगाए गए, लेकिन पानी अब भी ‘हेड’ से गाँव तक नहीं पहुंच पा रहा। हर साल गर्मियों में नल सूख जाते हैं और बरसात में हेड बह जाता है ये सिलसिला अब आदत सा बन गया है।
शिकायतें सालों से हो रही हैं, मगर समाधान? बस कंधे उचकाने और एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने का खेल जारी है। ग्रामीणों का कहना है कि पेयजल निगम और विभाग की आपसी खींचतान का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है।
गांव के केशव बधानी ने चेतावनी दी कि यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो ग्रामीण विभागीय दफ्तर का घेराव करने को मजबूर होंगे। गाँव के लोगों का कहना है कि वे कोई विशेष सुविधा नहीं माँग रहे, बस अपनी बुनियादी ज़रूरत पानी की मांग कर रहे हैं। सवाल ये है कि जब पानी जैसी मूलभूत जरूरत भी समय पर नहीं मिल पा रही, तो फिर योजनाओं का उद्देश्य क्या रह जाता है?