कॉर्बेट पार्क के गर्जिया जोन को लेकर जमीनी हकीकत और प्रशासनिक दावों के बीच की दूरी अब और ज़्यादा बर्दाश्त के बाहर हो चुकी है। जिम कार्बेट नेचर गाइड एसोसिएशन कॉर्बेट के अध्यक्ष ने एक बार फिर तमाम बुनियादी समस्याओं और प्रशासन की उपेक्षा को उजागर करते हुए उत्तराखंड के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन को पत्र भेजा है।
रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
इस पत्र में साफ तौर पर बताया गया है कि गर्जिया जोन की बदहाल सड़कें, टूटी सुविधाएं, और लगातार अनदेखी स्थानीय गाइडों के रोज़गार और पर्यटकों की सुरक्षा दोनों के लिए खतरा बन चुकी हैं। एसोसिएशन का आरोप है कि पार्क में लाखों रुपये की योजनाएं हर साल आती हैं, लेकिन जमीनी बदलाव ना के बराबर हैं।
नेचर गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया कि अब वे सूचना का अधिकार (RTI) के तहत पार्क में होने वाले कार्यों, उनके बजट और गुणवत्ता की जांच करवाने जा रहे हैं। इससे यह सामने आएगा कि किस योजना पर कितना खर्च हुआ और उसका लाभ वास्तव में कहां तक पहुंचा। पत्र में कहा गया है कि एक ओर अन्य यूनियनों को हर आयोजन की जानकारी भेजी जाती है, वहीं कॉर्बेट की सबसे सक्रिय रजिस्टर्ड गाइड यूनियन को जानबूझकर नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। ना तो स्वास्थ्य परीक्षण की जानकारी दी गई, ना ही पर्यावरण दिवस जैसे आयोजनों में कोई सूचना। गर्जिया जोन में पर्यटकों के स्वागत के लिए न तो कोई सुंदर गेट है, न पार्किंग, न नेचर गाइडों के लिए हट, और न ही पीने के साफ पानी की सुविधा। मॉनसून आते ही सड़कें दलदल बन जाती हैं और गाड़ियां फिसलने लगती हैं।
इन सभी गंभीर विषयों को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री, वन मंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री / सांसद को भी सूचनार्थ पत्र भेजे गए हैं, ताकि इस विषय पर उच्च स्तर से संज्ञान लिया जा सके और जल्द समाधान हो।
पार्क प्रशासन की लगातार अनदेखी और संवादहीनता के चलते स्थानीय गाइडों और ग्रामीणों में काफी असंतोष है। उनका कहना है कि जब तक समस्याओं का ठोस समाधान नहीं होता, तब तक पर्यटन को बढ़ावा देने की बातें सिर्फ दिखावा हैं।
क्या RTI से खुलेगा कॉर्बेट पार्क के खर्च और व्यवस्था का राज़? क्या उच्च अधिकारी करेंगे कार्यवाही?
या फिर गर्जिया जोन यूं ही उपेक्षा की मार झेलता रहेगा?
अब नज़रें शासन और वन विभाग की अगली चाल पर टिकी हैं..
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