24 साल का वनवास काट चुके काशीपुर के आखिर अब वह अच्छे दिन आ रहे हैं जब स्थानीय जनता ये गर्व से कह सके कि मुस्कराइये आप काशीपुर में हैं।
रफी खान / संपादक
काशीपुर। पूरे देश में सन 2014 के आसपास ये नारा अच्छे दिन आने वाले हैं जमकर उछला था, तब से लेकर आजतक काशीपुर की जनता को भी यह आस थी के काशीपुर के भी अच्छे दिन आएंगे लेकिन इस बीच शहर कस्बे में तब्दील हो गया और लोगों की अच्छे दिन की आस घुमिल पड़ चुकी थी यही नहीं जनता विकासपुरुष स्व पंडित नारायण दत्त तिवारी और स्व सतेन्द्र चन्द्र गुडिया को याद कर कहने को विवश थी के किया ऐसे नेता फिर कभी काशीपुर को मिल सकेंगे। क्योंकि चुनाव में वादे तो सभी करते हैं पर चुनाव जीतने के बाद राजनेताओं को वादे पूरे करते कम ही देखा जाता है परन्तु इसके विपरीत काशीपुर नगर निगम के महापौर दीपक बाली ने चुनाव के दौरान जनता से किए वादों पर जिस तरह से अमल दरामद करते हुए शहर को बनाने और संवारने का काम किया जा रहा है उससे अब विपक्ष भी यह कहने को मजबूर है मुस्कराइये आप काशीपुर में हैं। निःसंदेह मेयर दीपक बाली की कार्यशैली के आगे नायक फिल्म के हीरो की छवि भी मांद पढ़ती नजर आ रही है।

गुजरी चुनावी रेलियों और नुक्कड़ सभाओं में जब दीपक बाली जनता के बीच कह कहते नजर आते थे कि में राजनीति करने नहीं राजनीति सिखाने आया हूं तो विपक्ष ही नहीं पक्षधर भी इसे उनका सियासी स्टंट कहते थे लेकिन आज उनकी राजनीतिक कौशलता और कार्यशैली से यह स्पष्ट हो रहा है कि मानो वह विपक्ष ही नहीं बल्कि पक्षधरों को भी राजनीति सिखा रहे हों।
एक और नगर निगम में जहां हर रोज जनता दरबार की शक्ल में सैकड़ों लोगों के मसाइल के हल हाथ के हाथ निकाले जा रहे हैं और जनता की समस्याओं को सुना और दूर किया जा रहा है तो वही दूसरी और नगर निगम के अधिकारी और सभी कर्मचारी दिन रात रोबोट की तरह काम करते हुए शहर को सजाने संवारने में जुटे है यह सब देख लोगों को अनायास ही तिवारी जी और गुड़िया जी का वो कार्यकाल याद आ गया जब काशीपुर देश में अपनी खास पहचान रखता था। कुल मिलाकर यह कि गड्ढा बन चुके काशीपुर को जिस तरह से नगर निगम प्रशासन और महापौर लगातार बनाने और संवारने में लगे हैं उस के बाद अब यह कहां जा सकता है कि मुस्कराइये आप काशीपुर में हैं।