कार्बेट टाइगर रिजर्व में अब न तो बारिश का डर है और न ही दुर्गम जंगलों का। मानसून की तेज़ फुहारों के बीच जंगल की सुरक्षा को लेकर वन विभाग पूरी तरह एक्शन में है। वन्यजीवों की हिफाज़त और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए शुक्रवार को कार्बेट टाइगर रिजर्व और रामनगर वन प्रभाग की संयुक्त टीम ने बिजरानी और सर्पदुली रेंज में जबरदस्त फ्लैग मार्च किया।
रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
यह फ्लैग मार्च कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला के दिशा-निर्देश और उप निदेशक राहुल मिश्रा के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। अभियान का नेतृत्व वन क्षेत्राधिकारी भानु प्रकाश हर्बोला ने किया, जिनके साथ वन क्षेत्राधिकारी उमेश आर्या (सर्पदुली रेंज), वन दरोगा सरत सिंह बिष्ट, वन दरोगा धर्मपाल सिंह नेगी, वन आरक्षी प्रमोद सत्यवली और वन आरक्षी कृष्ण चंद्र पंत जैसे अनुभवी अधिकारी मौजूद रहे।
दोपहर तीन बजे सांवल्दे वन परिसर से फ्लैग मार्च का आगाज़ हुआ। टीम ने हिम्मतपुर डोटियाल, कानिया, चोरपानी, कोटद्वार रोड, एनएच 309, आमडण्डा, रिंगौड़ा और लदुवा जैसे संवेदनशील इलाकों में सघन गश्त की। रास्ते में स्थानीय ग्रामीणों को भी वन्यजीव संरक्षण में सहयोग के लिए जागरूक किया गया और उन्हें किसी भी संदिग्ध हलचल की सूचना तत्काल वन विभाग को देने की अपील की गई।
स्थानीय रेलवे स्टेशन के पास अस्थायी टेंटों में रह रहे घूमंतू समुदाय से भी टीम ने बातचीत कर उनकी गतिविधियों की जानकारी ली।
गर्जिया चौकी पर फ्लैग मार्च का पड़ाव हुआ, जहां सभी कर्मचारियों को संबोधित कर जंगल और जानवरों की अहमियत बताई गई। साथ ही उन्हें रात्रि एम्बुश, कंबिंग ऑपरेशन और संदिग्ध गतिविधियों पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी भी दी गई। विशेष तौर पर रेंज सीमाओं में बसे गांवों, डेरों और खत्तों में बाहरी व्यक्तियों की जानकारी जुटाने के लिए इंटेलिजेंस बढ़ाने पर जोर दिया गया।
कार्बेट की इस मानसूनी तैयारी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जब जंगल की रक्षा की बात आती है, तो ये विभाग न तो मौसम देखता है और न ही हालात बस एक ही मकसद होता है: जंगल और जानवरों की सुरक्षा।