रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
रामनगर। जंगल की जमीन पर अब सिर्फ पेड़ ही नहीं, हक की आवाज़ भी गूंजेगी। वन ग्राम पूछड़ी में आयोजित एक जोरदार कार्यशाला में वनाधिकार कानून 2006 को लेकर जबरदस्त मंथन हुआ। देवीचौड़ा खत्ता, कालू सिद्ध, तुमड़िया खत्ता, बिंदुखत्ता, मानपुर, प्रतापुर, कालीपुर जैसे वनग्रामों से आए जनप्रतिनिधियों ने नारा दिया “जंगल हमारा, हक हमारा!” कार्यक्रम में वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष तरुण जोशी ने कानून के चार अहम अधिकारों को तोड़कर-समझाकर बताया वन भूमि पर निवास करने का अधिकार, वनों से उपज लेने का अधिकार, सरकारी सुविधाओं के लिए जमीन का उपयोग और अंत में सबसे बड़ा – वनग्रामों को राजस्व ग्राम बनाने का कानूनी अधिकार। बिंदुखत्ता से अर्जुनदेव ने साफ कर दिया कि “हमारा दावा जिला स्तरीय समिति से पास हो चुका है, अब बस सरकार की अधिसूचना की देर है। 1 लाख से अधिक लोगों की उम्मीद सरकार से जुड़ी है, और पंचायत चुनाव से पहले हम न्याय चाहते हैं!” समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार ने बताया कि रामनगर तहसील में चार जगहों पर ग्राम स्तरीय वनाधिकार समितियां बन चुकी हैं और रामपुर, लेटी, चौपड़ा को पहले ही राजस्व ग्राम का दर्जा मिल चुका है।कार्यशाला में एकता और हक के लिए आवाज़ बुलंद करते हुए नंदन सिंह, हयात सिंह, शांति मेहरा, प्रेम राम, अंजलि रावत, उमाकांत ध्यानी, मौ. अशरफ और दर्जनों लोगों ने कहा अब हर गांव की यही पुकार है: हमें मिलना चाहिए हमारा अधिकार। कुल मिलाकर, यह कोई साधारण सभा नहीं, बल्कि जंगल की धड़कनों में अधिकार की ताल थी। अब सरकार के दरवाज़े पर दस्तक तेज़ है और उम्मीद है कि बिंदुखत्ता समेत अन्य गांवों को बहुत जल्द राजस्व ग्राम की सौगात मिलेगी।