रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
रामनगर और बैलपड़ाव क्षेत्र में 23 अक्टूबर को हुए कथित गोमांस प्रकरण के दौरान वाहनों पर हुई तोड़फोड़ और मारपीट के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। अदालत ने इस मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि जांच केवल सतही नहीं बल्कि उस साजिश तक जानी चाहिए, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि आखिर इस पूरे घटनाक्रम से किसके व्यावसायिक हित साधे जा रहे थे। कोर्ट ने टिप्पणी की कि मामला वैचारिक कम और व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा का ज़्यादा प्रतीत होता है।

अदालत ने बैलपड़ाव चौकी इंचार्ज और कालाढूंगी थाना प्रभारी की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं और कहा है कि जब वीडियो फुटेज में आरोपियों के चेहरे साफ दिखाई दे रहे हैं, तो अब तक उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई। अदालत ने इस संबंध में विस्तृत जांच और रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले में अल शिफा ट्रेडिंग कंपनी द्वारा सुरक्षा की मांग को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने छोई क्षेत्र में पीटे गए चालक की पत्नी नूरजहां के प्रकरण को भी इससे जोड़कर एक साथ सुनवाई के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वैध मीट ट्रांसपोर्टरों द्वारा यदि पूर्व सूचना दी जाती है तो पुलिस की जिम्मेदारी होगी कि चालक और क्लीनर की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इसके साथ ही अदालत ने उस व्यक्ति की पहचान करने के निर्देश भी दिए हैं, जिसने भ्रामक सूचना फैलाकर भीड़ को भड़काया था। वहीं, पुलिस की ओर से अदालत को आश्वासन दिया गया है कि शेष आरोपियों की गिरफ्तारी जल्द की जाएगी। कहानी के पीछे का संकेत साफ है कानून के रखवाले अब खुद कठघरे में हैं और न्यायालय ने यह तय कर दिया है कि इस बार बात सिर्फ भीड़ की नहीं बल्कि उसके पीछे की मंशा की भी होगी।


 
                                    