Saturday, November 29, 2025
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कॉर्बेट नेशनल पार्क में पहली बार दिखी यूरोप एशिया की दुर्लभ ‘हॉफिंच’ वन विभाग और बर्ड लवर्स उत्साहित

रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान

रामनगर। विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क ने एक बार फिर अपनी अद्भुत जैव विविधता का प्रमाण पेश किया है। पार्क में पहली बार यूरोप पूर्वी एशिया और उत्तरी अफ्रीका में पाई जाने वाली बेहद दुर्लभ प्रवासी चिड़िया हॉफिंच (Hawfinch) देखी गई है। इस अनोखी प्रजाति के अचानक दिखाई देने से वन विभाग के अधिकारी और बर्ड वॉचर्स में खासा उत्साह है। विशेषज्ञों का मानना है कि आमतौर पर झुंड में रहने वाली यह चिड़िया शायद अपने समूह से अलग होकर कॉर्बेट तक पहुंच गई होगी।

कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व (CTR) प्रशासन ने हॉफिंच की मौजूदगी की पुष्टि करते हुए इसे पार्क की आधिकारिक पक्षी सूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। खास बात यह है कि किसी भी भारतीय राष्ट्रीय उद्यान में यह प्रजाति पहली बार दर्ज की गई है, जिससे यह साइटिंग बेहद ऐतिहासिक मानी जा रही है।

यह अनोखी खोज 23 नवंबर को रामनगर के प्रसिद्ध फोटोग्राफर प्रशांत कुमार ने की थी। ढेला जोन में जंगल सफारी के दौरान शिकारी कुएं के पास उन्होंने इस पक्षी को कैमरे में कैद किया। प्रशांत बताते हैं कि भारत में हॉफिंच का दिखना बेहद दुर्लभ घटना है, क्योंकि यह प्रजाति सामान्यतः अत्यधिक ठंडे क्षेत्रों यूरोप और उत्तरी-पश्चिमी एशिया में पाई जाती है। उनका कहना है कि यह पक्षी पिछले कुछ दिनों से ढेला रेंज में लगातार नजर आ रहा है, जो इसके यहां किसी कारणवश भटककर पहुंचने का संकेत देता है।

इतिहास में हॉफिंच की मौजूदगी भारतीय उपमहाद्वीप में केवल दो बार ही दर्ज की गई थी 1908 में पीओके के मुजफ्फराबाद में और 2017 में अलियाबाद में। ऐसे में कॉर्बेट में हालिया उपस्थिति इस प्रजाति के लिए तीसरी और अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेजी साइटिंग बन गई है।

हॉफिंच अपनी मजबूत चोंच, 18 सेंटीमीटर लंबाई और 29, 33 सेंटीमीटर पंख फैलाव के लिए जानी जाती है। यह कठोर बीज और जामुन खाती है तथा अपनी अत्यंत शक्तिशाली चोंच से कठोर बीजों को आसानी से तोड़ लेती है। नर और मादा में हल्का रंग अंतर इसे और भी विशिष्ट बनाता है।

वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर दीप रजवार बताते हैं कि हॉफिंच बड़े पैमाने पर यूरोप और समशीतोष्ण एशिया में प्रजनन करती है, जबकि कुछ समूह सर्दियों में दक्षिण की दिशा में प्रवास करते हैं। अलास्का के पश्चिमी द्वीपों में यह प्रजाति बेहद कम दिखाई देती है और ‘वागाबॉन्ड’ कैटेगरी में मानी जाती है।

CTR के एसडीओ अमित ग्वासाकोटी ने कहा कि कॉर्बेट में हॉफिंच की पहली उपस्थिति पक्षी प्रेमियों के लिए सौगात है। जल्द ही इसे पार्क की पक्षी सूची में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि कॉर्बेट का पारिस्थितिकी तंत्र अंतरराष्ट्रीय प्रवासी प्रजातियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन चुका है।

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