Saturday, November 22, 2025
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Homeउत्तराखंडमानवाधिकार पर सवाल काशीपुर में किसका कहर, किसकी ख़ामोशी ?

मानवाधिकार पर सवाल काशीपुर में किसका कहर, किसकी ख़ामोशी ?

काशीपुर। अल्लीखां और थाना साबिक क्षेत्र में कथित अवैध सख्ती एवं मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायत के बाद उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने संज्ञान लेते हुए जांच की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी है। शासन के गृह विभाग ने इस पूरे मामले में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश भेजे हैं। यह शिकायत काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता एवं समाजसेवी नदीम उद्दीन (एडवोकेट) द्वारा जनहित में भेजी गई थी।

 

रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान

मुख्य सचिव कार्यालय से प्राप्त पत्र को आगे बढ़ाते हुए गृह विभाग ने 29 अक्टूबर 2025 के पत्रांक 1577 के तहत इस शिकायत को डीजीपी कार्यालय को भेजा है, साथ ही निर्देश दिए हैं कि की गई हर कार्यवाही से शिकायतकर्ता को अवगत कराया जाए। इसके बाद 7 नवम्बर 2025 को गृह विभाग के लोक सूचना अधिकारी द्वारा आरटीआई के माध्यम से नदीम उद्दीन को पूरी जानकारी उपलब्ध कराई गई।

नदीम उद्दीन द्वारा की गई शिकायत में आरोप लगाया गया था कि आई लव मोहम्मद मार्च प्रकरण के बाद क्षेत्र में भारी पुलिस दबाव बना और देर रात से अल्लीखां थाना साबिक क्षेत्र को लगभग पूरी तरह बंद जैसा कर दिया गया। आरोपों के अनुसार, वायरल वीडियो के बाद पोस्टर व बैनरों में दिख रहे चेहरों के आधार पर कई लोगों को उठाया गया वहीं सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद मार्च में शामिल रहे नाबालिगों मार्ग से गुजर रहे लोगों और कुछ दुकानदारों तक को थाने व पुलिस चौकियों में ले जाकर पूछताछ की गई।

शिकायत में यह भी दावा किया गया है कि कई लोगों को कई दिनों तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया और उनके परिजनों व चुने हुए अधिवक्ताओं को मिलने तक नहीं दिया गया। साथ ही क्षेत्र में रात 7 बजे से सुबह 7 बजे तक अनौपचारिक रूप से कड़े प्रतिबंध लागू रहे दुकानें बंद कराई गईं और मुख्य सड़क पर बैरिकेडिंग कर आवागमन रोक दिया गया।

शिकायत में यह भी उठाया गया मुद्दा कि नगरपालिका टीम द्वारा नालियों घरों से उतरने वाली सीढ़ियों और पैरियों को बिना नोटिस हटाए जाने से मोहल्ले में काफी अव्यवस्था फैल गई और लोगों को घरों से निकलने तक में दिक्कतें हुईं।

नदीम उद्दीन ने अपनी शिकायत में यह स्पष्ट किया कि दरोगा के साथ हुई मारपीट की घटना निंदनीय है और वास्तविक दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन पूरे इलाके को सामूहिक रूप से दंडित करना न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने 20 हजार से अधिक स्थानीय निवासियों के कथित अधिकार हनन की जांच कर न्याय दिलाने की मांग भी की है।

फिलहाल शिकायत मुख्य सचिव से होते हुए गृह विभाग और वहां से डीजीपी कार्यालय तक पहुँच चुकी है। अब इस पर आगे की कार्रवाई पुलिस मुख्यालय द्वारा किए जाने की प्रतीक्षा है।

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