Tuesday, July 1, 2025
spot_img
Homeउत्तराखंडउपभोक्ता आयोगों का फेल सिस्टम!

उपभोक्ता आयोगों का फेल सिस्टम!

13 में सिर्फ 4 अध्यक्ष, वो भी बिना वेतनभत्ता के दौड़ते फिर रहे पहाड़ों में!

उत्तराखंड के उपभोक्ता आयोगों की हालत खुद शिकायत लायक बन चुकी है। राज्य में 13 जिला उपभोक्ता आयोग हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ 4 में ही स्थायी अध्यक्ष तैनात हैं। बाकी 9 जिलों में आयोगों की कमान इन्हीं 4 अधिकारियों को अतिरिक्त रूप से संभालनी पड़ रही है। वो भी बिना किसी अतिरिक्त वेतन या भत्ते के!

रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान

यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन द्वारा मांगी गई जानकारी से हुआ है। उन्होंने खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के विभाग से लेकर राज्य के विभिन्न जिला उपभोक्ता आयोगों से रिक्त पदों और उनकी अस्थायी व्यवस्था को लेकर सूचना मांगी थी। विभाग के लोक सूचना अधिकारी राजेश कुमार और हरिद्वार आयोग के सदस्य डॉ. अमरेश रावत ने जो जवाब भेजा, वह सरकारी लापरवाही की पोल खोलने वाला है।
राज्य सरकार ने न तो अब तक रिक्त पदों के लिए आवेदन मांगे हैं, न ही अगले 6 महीनों में खाली होने वाले अध्यक्षों/सदस्यों की भर्ती को लेकर कोई प्रक्रिया शुरू की है। 19 मई 2023 के शासनादेश के तहत देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंह नगर के अध्यक्षों को पर्वतीय जिलों की भी जिम्मेदारी थमा दी गई है—जैसे देहरादून के अध्यक्ष उत्तरकाशी और टिहरी गढ़वाल की सुनवाई भी करते हैं, हरिद्वार के अध्यक्ष को पौड़ी, चमोली और रुद्रप्रयाग भी देखना होता है, जबकि नैनीताल और उधमसिंह नगर के अध्यक्ष क्रमशः अल्मोड़ा-बागेश्वर और चंपावत-पिथौरागढ़ के मामलों की भी सुनवाई करते हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि इन सभी अतिरिक्त प्रभारों के लिए कोई अतिरिक्त भत्ता या वेतन नहीं दिया जाता। इससे न्यायिक प्रक्रिया का स्तर गिरता जा रहा है। हरिद्वार के अध्यक्ष द्वारा वर्ष 2024-25 में पर्वतीय जिलों में की गई यात्राओं की तिथियां भी दी गई हैं, जिनमें नवंबर से लेकर मई तक कभी 4 तो कभी 6 दिन के प्रवास दिखाए गए हैं।

टैक्स सीएचआर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नदीम उद्दीन ने कहा है कि इस तरह की अस्थायी व्यवस्था से उपभोक्ता आयोगों का काम प्रभावित हो रहा है। जिन जिलों में अध्यक्ष नहीं हैं, वहां मुकदमों की सुनवाई पहले से तय तिथियों के अभाव में स्थगित करनी पड़ती है। वहीं जिन जिलों के अध्यक्षों को अतिरिक्त कार्य दिया गया है, वे भी अपनी मूल जिम्मेदारियों को पूरी तरह समय नहीं दे पाते।
नदीम उद्दीन ने मांग की है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत नियम 4(4) का अनुपालन करते हुए रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति की जाए और तब तक के लिए अस्थायी व्यवस्था में कार्यरत अध्यक्षों को पर्वतीय भत्तों समेत अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान की जाएं।

इस समय देहरादून के अध्यक्ष पुष्पेन्द्र खरे, हरिद्वार के गगन कुमार गुप्ता, नैनीताल के रमेश कुमार जयसवाल और उधमसिंह नगर के राजीव कुमार खरे पूरे राज्य के उपभोक्ता आयोगों का ढांचा ढो रहे हैं, पर सरकारी सिस्टम उनकी मेहनत का उचित मूल्य देना तो दूर, एक तारीख तक तय नहीं कर पा रहा।

जब उपभोक्ताओं को न्याय देने वाली व्यवस्था खुद न्याय के लिए तरस रही हो तो सवाल सरकार से जरूरी बनता है!

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here


- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments