रामनगर (नैनीताल)। ग्राम गोपालनगर, मालधन चौड़ में शराब की दुकान को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। स्थानीय निवासी महेन्द्र लाल द्वारा उपजिलाधिकारी रामनगर को सौंपे गए एक शिकायती पत्र में सनसनीखेज़ आरोप लगाए गए हैं कि कुछ दैनिक समाचार पत्रों और अन्य भ्रामक तत्वों ने माननीय उच्च न्यायालय, नैनीताल के आदेशों को तोड़-मरोड़कर पेश किया और जनता को गुमराह करने का काम किया।
रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
शिकायतकर्ता के अनुसार, उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर यह आपत्ति उठाई थी कि गोपालनगर में जो शराब की दुकान खोली गई है, वह नियमों को ताक पर रखकर खोली गई। इस पर अदालत ने 3 जून 2025 को साफ़ आदेश जारी करते हुए कहा कि “उक्त दुकान को बंद कर दिया गया है।” लेकिन हैरानी की बात यह है कि 10 जून को कुछ समाचार पत्रों में यह खबर प्रकाशित हुई कि “कोर्ट ने दुकान खोलने के आदेश दिए हैं।
इतना ही नहीं, 9 जून को अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 3 जुलाई तय करते हुए सिर्फ यह निर्देश दिया कि पूर्व में जारी लाइसेंस के आधार पर याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा दी जाए, ताकि रिट याचिकाओं के निपटारे तक किसी प्रकार की अशांति न फैले। इस आदेश में कहीं भी गोपालनगर में दुकान चलाने की अनुमति का जिक्र नहीं है।
अब सवाल ये उठता है कि जब कोर्ट ने खुद कहा कि दुकान बंद कर दी गई है, तो फिर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने दुकान खोलने की बात कैसे छाप दी? क्या यह पत्रकारिता की चूक है या फिर जानबूझकर किया गया ‘पब्लिक माइंड डाइवर्ज़न’?
शिकायतकर्ता महेन्द्र लाल ने मांग की है कि उपजिलाधिकारी इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाएं और ऐसे समाचार पत्रों व भ्रम फैलाने वाले अन्य तत्वों पर उचित कार्रवाई करें, ताकि कोर्ट की गरिमा बनी रहे और जनता गुमराह न हो।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पत्रकारिता अब तथ्यों की नहीं, तथाकथित सूत्रों की गुलाम बन चुकी है?