बीते कुछ समय से नगर निगम महापौर द्वारा एजल चलो नीति को लेकर काशीपुर बीजेपी में बगावत की चिंगारी सुलग रही थी जो अब शोला बनकर भड़कने के कगार पर आ पहुंची है। पूर्व विधायक ने इसको लेकर बगावत का साज बजा दिया है। देखना यह दिलचस्प होगा के उनके इस साज पर कितने भाजपा नेता ताल से ताल मिला पाएंगे। गुजिश्ता बीस वर्ष काशीपुर में यह डगलॉग खूब प्रचलित रहा है तुसी कौन… पर आज ऐसा प्रतीत होता है नगर निगम से आवाज़ आ रही हो तुसी कौन?
रफ़ी खान, संपादक
जी हां आपको बता दें इसको लेकर जहां काशीपुर में भाजपा के चार बार के विधायक रहे हरभजन सिंह चीमा ने मोर्चा खोल दिया है तो वही पार्टी के अन्य नेता भी पूर्व विधायक के साथ खड़े हो महापौर की नीति के विरुद्र मुंह खोलने को विवश हो चले हैं। गौरतलब रहे हमने लगभग तीन सप्ताह पूर्व बीते माह


आज काशीपुर भाजपा विधायक कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में जिस तरह से पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा, प्रदेश महामंत्री खिलेंद्र चौधरी, पीसीयू चेयरमैन राम महरोत्रा,बीजेपी के वरिष्ठ नेता गुरविंदर सिंह चंडोक ने निगम महापौर दीपक बाली की कार्यशैली पर खासी नाराजगी का इजहार किया है वह कही से कही तक भी बीजेपी के लिए सूदमद साबित नहीं हो सकता।
हालांकि इस दौरान सभी भाजपा नेताओं का जहां यह मानना है कि काशीपुर में विकास गति पकड़ रहा है तो वही उनका ये भी कहना है यदि मेयर पार्टी नेताओं के संग समन्वय बनाते हुए विकास को गति दें तो और बेहतर रिजल्ट निकलता। हालांकि बीजेपी नेताओं द्वारा घुमा फिरकर विरोध तो दर्शाया गया लेकिन पूर्व विधायक के अलावा कोई भी भाजपा नेता काशीपुर महापौर दीपक बाली के विरुद्र खुलकर नहीं बोल सके स्पष्ट है कि दुखती रग में दर्द है पर बयां नहीं कर सकते शायद कही धाकड़ धामी या हाइकमान नाराज न हो जाएं।
जबकि दूसरी और वही अपनी बेवाक बात रखने में माहिर पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा ने प्रेस से रुबरु होकर महापौर दीपक बाली की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि शहर की तस्वीर बदल देने से तकदीर नहीं बदलती। इसके लिए सामूहिक विमर्श से फैसले लेने होते हैं। पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा ने कहा कि शासन स्तर पर होने वाले फैसलों में मेयर बाली दखल दे रहे हैं। शहर के चौराहों के पौराणिक नाम बदलने का उनका प्रयास आम लोगों के गले नहीं उतर रहा है। पुरानी पहचान को बिना कारण मिटाए जाने का कोई औचित्य नहीं है।