रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
शिक्षा समाचार
रामनगर। राजकीय इंटर कॉलेज ढिकुली में सोमवार से एक सप्ताह तक चलने वाले भारतीय भाषा समर कैंप का रंगारंग आगाज़ हुआ। दीप प्रज्वलन और मां सरस्वती की कुमाऊनी वंदना के साथ कैंप की शुरुआत हुई। कैंप का उद्देश्य स्थानीय भाषाओं — कुमाऊनी और गढ़वाली को संरक्षित कर नई पीढ़ी तक पहुंचाना है।मुख्य अतिथि, सेवानिवृत्त प्राचार्य एवं भाषा विशेषज्ञ प्रो. गोविंद सिंह रावत ने बच्चों से आग्रह किया कि वे अपनी मातृभाषा को सिर्फ समारोहों तक सीमित न रखें, बल्कि इसे अपने दैनिक जीवन में अपनाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि बच्चे प्रतिदिन डायरी लिखें और उसमें कुमाऊनी-गढ़वाली शब्दों का समावेश करें।विशिष्ट अतिथि एवं कुमाऊनी भाषा के जानकार एन.के. नैनवाल ने कहा कि आपसी संवाद में क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग करने से बच्चे जल्द भाषा सीख जाते हैं। वहीं सेवानिवृत्त रक्षा अधिकारी धीरेंद्र कुमार छिमवाल ने कहा कि बच्चों को कुमाऊनी और गढ़वाली में प्रेरक प्रसंग, कहानियां, गीत और कविताएं सुनाई जाएं, ताकि उनमें भाषा के प्रति प्रेम और आत्मीयता विकसित हो। कैंप के समन्वयक प्रवक्ता दिनेश चंद्र सिंह रावत ने कार्यक्रम की रूपरेखा साझा करते हुए बताया कि पूरे सप्ताह चलने वाले इस कैंप में नियमित उपस्थिति दर्ज कराने वाले छात्रों को सर्टिफिकेट और पुरस्कार दिए जाएंगे। प्रथम दिवस पर बच्चों ने देशभक्ति, रिश्तों, वृक्षों, फलों और फूलों पर आधारित फ्लैश कार्ड कुमाऊनी और गढ़वाली भाषा में तैयार किए। इस कार्य में शिक्षक दिनेश रावत, कुंदन लाल, और अतिथि शिक्षक दीपा सती एवं बबीता ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। कैंप में भाषा विशेषज्ञों द्वारा बच्चों को कहानियों और किस्सों के माध्यम से स्थानीय भाषाओं का महत्व समझाया गया। विद्यालय के प्रधानाचार्य व नोडल अधिकारी आसाराम निराला ने सभी अतिथियों और सहभागी छात्रों का आभार व्यक्त किया। संचालन शिक्षक कुंदन लाल ने किया। कैंप के पहले दिन 60 छात्र-छात्राओं ने भागीदारी की और उत्साहपूर्वक क्षेत्रीय भाषाओं से जुड़ने का संकल्प लिया।
शिक्षा समाचार