रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
रामनगर। शहर की सड़कों पर शनिवार को कुछ अलग ही नज़ारा देखने को मिला। हाईकोर्ट के निर्देश पर न्यायालय परिसर से एक ऐसी जागरूकता रैली निकाली गई जिसने लोगों को न सिर्फ कानून का पाठ पढ़ाया, बल्कि समाज में फैली कई गंभीर बुराइयों पर भी सीधा वार किया। रैली की अगुवाई कर रहे थे न्यायिक मजिस्ट्रेट सिद्धार्थ कुमार एवं अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजीव धवन, जिन्होंने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर इस रैली को रवाना किया। रैली नगर के मुख्य मार्गों से होती हुई निकली और हर मोड़ पर लोगों को सोचने पर मजबूर कर गई। रैली की सबसे खास बात थी इसमें बच्चों और युवाओं की भागीदारी। विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राएं, एनसीसी कैडेट्स, अधिवक्ता, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, और प्रशासनिक अधिकारी—सबने एक स्वर में कानून, नैतिकता और समाजिक जिम्मेदारियों को लेकर शहरवासियों को जगाने का काम किया। बच्चों द्वारा लगाए गए नारे जैसे— “बाल श्रम बंद करो!”, “बाल विवाह पर रोक लगे!”, “महिलाओं को दो अधिकार, तभी बनेगा देश नेक और शुद्ध विचार!”, “नशे से नाता तोड़ो, जीवन से रिश्ता जोड़ो!” ने पूरे माहौल को ऊर्जा से भर दिया। इस रैली के ज़रिए जहां लोगों को यातायात नियमों के पालन के प्रति सजग किया गया, वहीं बाल श्रम, बाल विवाह, महिला अपराधों और नशे जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी मजबूत संदेश दिया गया।मासूम बच्चों ने जिस बेबाकी से नशे के खिलाफ आवाज़ बुलंद की, वह हर किसी को झकझोर गया। रैली में यह भी बताया गया कि कैसे नशा आज के युवाओं को गर्त की ओर धकेल रहा है और इससे समाज को कितना नुकसान हो रहा है। सड़कों पर रैली गुजरती रही और लोग खिड़कियों से झांकते रहे, कुछ अपने मोबाइल कैमरे में तस्वीरें कैद करते रहे तो कुछ बच्चों के जोश और सामाजिक संदेशों से प्रेरित होते रहे। अधिवक्ताओं और समाजसेवियों ने भी रैली के दौरान लोगों को कानून की अहमियत समझाई और अपील की कि “कानून को जानिए, कानून को मानिए और समाज को अपराध मुक्त बनाइए।” यह रैली सिर्फ कुछ किलोमीटर की दूरी तय करके खत्म नहीं हुई, बल्कि शहर के हर नागरिक के दिल में कानून और नैतिकता की एक लौ जला गई।