✍️ रिपोर्टर: मोहम्मद कैफ खान
रामनगर। पाटकोट रोड पर शराब की दुकान के खिलाफ महिलाओं का आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। धरना-प्रदर्शन आज 47वें दिन भी पूरी ताकत के साथ जारी रहा। नारों और मांगों से गूंजते धरना स्थल पर महिलाओं ने सवाल खड़े किए कि जब उत्तराखण्ड आबकारी आयुक्त ने खुद लिखित आदेश जारी कर कहा है कि जिन स्थानों पर विरोध हो रहा है, वहां की शराब की दुकानें बंद कर दी जाएंगी — तो फिर पाटकोट रोड की दुकान अब तक बंद क्यों नहीं हुई? तीन दिन पहले आए आबकारी आयुक्त के आदेश के बाद भी कोई सूची सार्वजनिक नहीं की गई है, जिससे महिलाओं में रोष साफ दिखा। उनका कहना है कि सरकार सिर्फ झूठे आश्वासन देकर आंदोलन को कमजोर करना चाहती है, लेकिन अब महिलाएं धोखे में आने वाली नहीं हैं। धरने पर बैठी कविता, मंजू, विमला, हेमा, चंपा, गुड्डी, हिमानी, पूजा, कमला, मोहिनी, बचुली, हंसी, प्रभावती, नेहा सहित बड़ी संख्या में महिलाओं ने कहा कि अगर आबकारी विभाग सच में दुकानों को बंद कर रहा है तो फिर वह सूची क्यों छुपा रहा है? कहीं यह कोई नई चाल तो नहीं? महिलाओं ने चेतावनी दी है कि जब तक पाटकोट रोड की दुकान आधिकारिक सूची में बंद घोषित नहीं होती, तब तक उनका धरना समाप्त नहीं होगा। “शराब को घर के पास नहीं आने देंगे, चाहे जितने दिन लग जाएं,” – यह कहना है इन बहादुर महिलाओं का, जो धूप-बारिश में भी अपनी ज़मीन पर अडिग हैं। गौरतलब है कि पाटकोट रोड पर खुली शराब की दुकान को लेकर स्थानीय महिलाओं ने शुरुआत से ही विरोध जताया था। इस दुकान को बंद कराने के लिए वे शांतिपूर्ण ढंग से लेकिन पूरे जोश के साथ सड़कों पर डटी हैं। अब जब शासन की ओर से कार्रवाई के आदेश का दावा किया गया है, तो उसका पालन न होना सवाल खड़े कर रहा है। अब देखना ये है कि क्या आबकारी विभाग सच में जनता की आवाज़ सुनेगा, या फिर ये आंदोलन यूं ही सरकारी फाइलों में दबा दिया जाएगा?