✍️ रिपोर्टर: मोहम्मद कैफ खान
नई दिल्ली। से एक ऐसी बड़ी कूटनीतिक खबर सामने आई है। जो न सिर्फ देश की राजनीति में हलचल पैदा कर रही है, बल्कि दुनिया के कई मुस्लिम देशों में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई है। आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरने के लिए मोदी सरकार ने एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों के दौरे पर भेजने की तैयारी पूरी कर ली है। लेकिन इस बार जो बात सबसे ज्यादा सुर्खियों में है, वो है AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की इस प्रतिनिधिमंडल में मजबूत मौजूदगी। जी हां, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के दिग्गज नेताओं के साथ-साथ ओवैसी को भी इस मिशन में शामिल कर यह साफ संदेश देने की कोशिश की है कि भारत का मुसलमान आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है और वह भी दुनिया को बताना चाहता है कि पाकिस्तान अब सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए खतरा बन चुका है। इस प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कांग्रेस नेता शशि थरूर करेंगे। दिलचस्प बात ये है कि कुछ दिन पहले ही थरूर के कांग्रेस से नाराज़गी की खबरें थीं, लेकिन अब उन्हें मोदी सरकार ने एक अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी देकर सबको चौंका दिया है। इसी टीम में शामिल हैं ओवैसी, सलमान खुर्शीद, कनिमोझी, गुलाम नबी आज़ाद, प्रियांका चतुर्वेदी, सुप्रिया सुले, मनीष तिवारी, अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, बांसुरी स्वराज, श्रीकांत शिंदे जैसे कई बड़े नाम, जो अगले 10 दिनों तक अमेरिका, यूरोप, जापान, यूएई, दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और यूके में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की पोल खोलेंगे। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए सीमा पार कड़ा संदेश दिया था। अब उसी का अगला कूटनीतिक पड़ाव है यह वैश्विक अभियान, जो सीधे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कटघरे में खड़ा करेगा। मोदी सरकार का यह कदम बताता है कि वह अब सिर्फ सेना के जरिए ही नहीं, बल्कि संसद के ज़रिए भी पाकिस्तान के झूठ को उजागर करना चाहती है और उसमें ओवैसी की भूमिका बेहद अहम बताई जा रही है। माना जा रहा है कि ओवैसी मुस्लिम देशों में जाकर यह साफ संदेश देंगे कि भारत में मुसलमान आतंकवाद के खिलाफ हैं, और भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब आज भी ज़िंदा है। इस फैसले ने मुस्लिम समुदाय में चर्चा को और तेज़ कर दिया है। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं – “मोदी सरकार ने ओवैसी को जो जिम्मेदारी दी है, वो इतिहास में एक नई शुरुआत है।” वहीं राजनीतिक गलियारों में इसे एक चौंकाने वाला लेकिन चालाक कूटनीतिक दांव बताया जा रहा है, जो एक तीर से कई निशाने साध रहा है।